Gulzar Shayari in Hindi on Life & Love with Image

Gulzar Shayari in Hindi : In his post we share with you best Gulzar Shayari in Hindi so you enjoy this post or definitely you will learn something good from Gulzar Shayari in Hindi. Shayari is the best thing to enjoy with your friend by share this Gulzar Shayari in Hindi.

Gulzar Shayari in Hindi is the best shayari lot of people follow and read or even people like to learn this Gulzar Shayari in Hindi due o their passion. This is Gulzar Shayari in Hindi you can use it for your with your school projects. from Gulzar Shayari in Hindi you will learn real meaning of life. you can share these shayari with your friends on social media.

We make it simple for you to find the best Gulzar Shayari in Hindi so let’s start to read….

 

Gulzar Shayari in Hindi

 

 

for more : Gulzar Shayari in Hindi

Gulzar Shayari in Hindi for life

शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है. दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
​बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।

आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।

फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।

मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए
तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं
जो मैं हूं

बहुत छाले हैं उसके पैरों में
कमबख्त उसूलो पर चल होगा

सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है

मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं

गुलजार की दो लाइन शायरी
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं

गुलज़ार साहब की शायरी का वीडियो देखें:

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं

घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे

गुलजार दोस्ती and Love शायरी
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं

कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे

कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो

किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं

तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं

शोर की तो उम्र होती हैं
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं

वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,
आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं है

गुलज़ार शायरी इन हिंदी
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा

लकीरें हैं तो रहने दो
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी
उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।

अच्छी किताबें और अच्छे लोग, तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं।

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।

मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।

Gulzar Shayari in Hindi for love

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।

मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं।

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।

 

छोटा सा साया था, आँखों में आया था
हमने दो बूंदों से मन भर लिया

सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की
मुस्कुराए भी किसी पहचान की खातिर
कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया

बेहिसाब हसरते ना पालिये
जो मिला हैं उसे सम्भालिये

गुलजार हिंदी कविता
आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।

बीच आसमाँ में था
बात करते- करते ही
चांद इस तरह बुझा
जैसे फूंक से दिया
देखो तुम….
इतनी लम्बी सांस मत लिया करो

सूरज झांक के देख रहा था खिड़की से
एक किरण झुमके पर आकर बैठी थी,
और रुख़सार को चूमने वाली थी कि
तुम मुंह मोड़कर चल दीं और बेचारी किरण
फ़र्श पर गिरके चूर हुईं
थोड़ी देर, ज़रा सा और वहीं रूकतीं तो

आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
तुम उचकाकर शरीर होठों से चूम लेना
चूम लेना ये चाँद का माथा
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुक-झुक के कोहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है

हम तो अब याद भी नहीं करते,
आप को हिचकी लग गई कैसे?

30 अहमद फ़राज़ की शायरी
अकबर इलाहाबादी

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।

बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं।

मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।

मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।

अच्छी किताबें और अच्छे लोग, तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं।

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।

फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।

आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।

एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।

छोटा सा साया था, आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया।

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।

थोडा सा हस के थोडा सा रुला के,
पल यही जानेवाले हैं।

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।

ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छ: गिले भी नहीं।

रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है।

आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ए’तिबार किया।

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।

किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।

शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।

लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी,

उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।।

बीच आसमाँ में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।।

देर से गूँजतें हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।

हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।

उधड़ी सी किसी फ़िल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो ग़मगीन थी बारिश।

कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।

दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।

किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।

वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।

आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।।

सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।

टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।

मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।।

मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।।

आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ऐतबार किया।

तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।

अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हम ने एक बार किया।।।

पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।

ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की,
और कहना कि।
कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश,
उनके आँचल का इंतज़ार करती है।

कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।

ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं,
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।

यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।

एक सो सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।

गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।

इस दिल का कहा मनो एक काम कर दो,
एक बे-नाम सी मोहब्बत मेरे नाम करदो।

मेरी ज़ात पर फ़क़त इतना अहसान कर दो,
किसी दिन सुबह को मिलो, और शाम कर दो।।

मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है।

मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं।।

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।

रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं।

कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।

शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।

बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।

शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।

सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।

Thanks for read Gulzar Shayari in Hindi on Life & Love with Image other shayari :

नया 50 Get Well Soon in Hindi with Image

Top 100+ Wedding Anniversary Wishes in Hindi with Image

नया 50 Birthday Wishes for School Friend in Hindi

Good Night Messages for Friends in Hindi

अनोखा 200 Good Morning Quotes in Hindi with Image

Originally posted 2021-10-26 22:11:10.

Leave a Comment